अबुल फ़जल के बड़े भाई अबुल फैजी को भी अकबर के रत्नों में गिना जाता है। कहा जाता है कि वह शायर था, यद्यपि किसी भी सम्मानित संग्रह में उसका उल्लेख देखने को नहीं मिलता । फैजी का जन्म आगरे में सितम्बर, १५४७ में हुआ था। उसे दिसम्बर, १५६८ में अकब. से मिलाया गया था, तब उसका पिता आगरे से भाग निकला था, क्योंकि उसे पता लग गया था कि अकबर उसका कत्ल करवा देना चाहता था। कुछ समय तक फैजी को शाहजादा मुराद को पढ़ाने का काम सौंपा गया । बाद में उसे आगरे का सदर नियुक्त किया गया । १५८८ में उसे राजकवि की उपाधि से सम्मानित किया गया । उसे और अमीर खुसरो को मध्य-कालीन भारत में फारसी के दो उल्लेखनीय कवि माना जाता है । कहा जाता है कि फैजी ने लगभग १०१ पुस्तकें लिखीं । कभी-कभी फैजी को राजदूत बनाकर भेजा जाता था । १५६२ में वह ऐसे ही एक मिशन पर दक्कन में गया । अक्तूबर, १५६५ के दिन आगरे में उसकी मृत्यु हो गई।
अबुल फ़ज़ल ने ५९ कवियों की कृतियों से कई उद्धरण दिए हैं। यद्यपि इन उद्धरणों में जिन कवियों की कृतियों के सन्दर्भ हैं, उनमें उसका भाई अबुल फैजी भी सम्मिलित है जिसे अबुल फ़जल “कवियों का बादशाह” मानता है और जिसके विचारों को वह 'विचार-मणि' मानता है । अधिकांश लेखकों ने 'प्रेम' शब्द का दुरुपयोग अपवित्र वासना की पूर्ति के लिए किया है और फैजी इस पाप-कर्म में औरों की तरह ही बढ़ा-चढ़ा है । बहुत से व्यक्ति, जो कवि के सम्मानित पद का दावा करने थे, वास्तव में पत्र-पत्रिकाओं की तूकबन्दी करने वाले लोगों से किसी तरह अधिक उत्तम नहीं थे । ब्लोचमैन का विचार था कि दिल्ली के अमीर खुसरो के बाद मुस्लिम भारत में फैजी से बड़ा कवि नहीं हुआ।
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